श्री चक्रवर्ती भरत सिद्धपरमेष्ठी पूजा
श्री चक्रवर्ती भरत सिद्धपरमेष्ठी पूजा -स्थापना-दोहा- नाभिराज के पौत्र तुम, भरत क्षेत्र के ईश। अष्टकर्म को नष्ट कर, गये लोक के शीश।।१।। अष्ट द्रव्य से मैं यहाँ, पूजूं भक्ति समेत। आह्वानन विधि मैं करूँ, परम सौख्य के हेतु।।२।। ॐ ह्रीं श्रीभरतस्वामिसिद्धपरमेष्ठिन्! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीभरतस्वामिसिद्धपरमेष्ठिन्! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं।…