प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव के पुत्र भरत से भारत (पद्मपुराण ग्रंथ से)
प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव के पुत्र भरत से भारत (पद्मपुराण ग्रंथ से) अथ कल्पद्रुमो नाभेरस्य क्षेत्रस्य मध्यग:। स्थित: प्रासादरूपेण विभात्यत्यन्तमुन्नत:१।।८९।। पूजिता सर्वलोकस्य मरुदेवीति विश्रुता। यथा त्रिलोकवन्द्यस्य धर्मस्य श्रुतदेवता२।।९५।। निश्चक्राम ततो गर्भात् पूर्णे काले जिनोत्तम:। मलस्पर्शविनिर्मुक्त: स्फाटिकादिव सद्मत:३।।१५९।। ततो महोत्सवश्चक्रे नाभिना सुतजन्मनि। समानन्दितनि:शेषजनो युक्त्या यथोक्तया४।।१६०।। सुरेन्द्रपूजया प्राप्त: प्रधानत्वं जिनो यत:। ततस्तमृषभाभिख्यां निन्यतु: पितरौ सुतम्५।।२१९।। नाभेयस्य सुनन्दाऽभून्नन्दा…