प्रथम कोष्ठक पूजा
प्रथम कोष्ठक पूजा (३४ अतिशय के ३४ अर्घ्य) -सोरठा— जिनवर गुणमणि तेज, सर्वलोक में व्यापता। हो मुझ ज्ञान अशेष, पुष्पांजलि कर पूजहूँ।। अथ मंडलस्योपरि प्रथमकोष्ठकस्थाने पुष्पांजलिं क्षिपेत्। -शंभु छंद- श्री आदिनाथ के जन्म समय से, दश अतिशय सुखदाता हैं। उनके तनु में निंह हो पसेव, यह अतिशय गुण मन भाता है।। मैं पूजूँ इस अतिशययुत…