श्रावकाचार
श्रावकाचार -अनुष्टुप्- आद्यो जिनो नृप:श्रेयान् व्रतदानादिपूरुषौ । एतदन्योऽन्यसंबन्धे धर्मस्थितिरभूदिह।।१।। अर्थ —आदि जिनेन्द्र श्री ऋषभनाथ और श्रेयांस नामक राजा ये दोनों महात्मा व्रततीर्थ तथा धर्मतीर्थ के प्रवर्ताने में आदि पुरुष हैं और इस भरतक्षेत्र में इन दोनों के संबंध से धर्म की स्थिति हुई है। भावार्थ — चतुर्थ काल की आदि में जिस समय कर्मभूमि की…