प्रशस्ति
“…प्रशस्ति…” -दोहा- शांतिनाथ तीर्थेश को, नमूँ अनन्तों बार। कुंथुनाथ अरनाथ को, नमूँ भक्ति उरधार।।१।। कुंदकुंद आम्नाय में, गच्छ सरस्वती मान्य। बलात्कारगण सिद्ध है, उनमें सूरि प्रधान।।२।। सदी बीसवीं के प्रथम, शांतिसागराचार्य। उनके पट्टाचार्य थे, वीरसागराचार्य।।३।। देकर दीक्षा आर्यिका, दिया ज्ञानमती नाम। गुरुवर कृपा प्रसाद से, सार्थ हुआ कुछ नाम।।४।। छब्बीस सौ उन्नीसवीं, वीर जयंती आज१।…