भजन
“…भजन…” -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती तर्ज—मेरे देश की धरती…… कुण्डलपुर धरती वीरप्रभू के जन्म से धन्य हुई है। कुण्डलपुर धरती……ओ……।। टेक.।। छब्बिस सौ वर्षों पूर्व जहाँ, धनपति ने रतन बरसाये थे। रानी त्रिशला के सपने सुन, सिद्धार्थराज हरषाये थे।। तीर्थंकर सुत को पाकर त्रिशला माता धन्य हुई है। कुण्डलपुर धरती……ओ……।।१।। पलने में देख वीर प्रभु को,…