अथ पंचकल्याणक अर्घ्य
“…अथ पंचकल्याणक अर्घ्य…” -गीता छंद- सिद्धार्थ नृप कुण्डलपुरी में, राज्य संचालन करें। त्रिशला महारानी प्रिया सह, पुण्य संपादन करें।। आषाढ़ शुक्ला छठ तिथी, प्रभु गर्भ मंगल सुर करें। हम पूजते वसु अर्घ्य ले, हर विघ्न सब मंगल भरें।।१।। ॐ ह्रीं आषाढ़शुक्लाषष्ठ्यां श्रीमहावीरतीर्थंकरगर्भकल्याणकाय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। सित चैत्र तेरस के प्रभू, अवतीर्ण भूतल पर हुए। घंटादि…