भजन
भजन……. रचयित्री—प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज—फूलों सा चेहरा तेरा…… शाश्वत है तीरथ मेरा, सम्मेदगिरि नाम है। गिरिवरों में श्रेष्ठ है, आदि सिद्धक्षेत्र है, मधुवन परम धाम है।। टेक.।। कहते हैं इस गिरि की वन्दना से, तिर्यंच नरकायु मिलती नहीं है। श्रद्धा सहित इसकी अर्चना से, भव्यत्व कलिका खिलती रही है।। रात अंधेरी हो, भक्ति सहेली हो,…