समवसरण विंशतिका
समवसरण विंशतिका -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी -दोहा- सरस्वती लक्ष्मी जहाँ, नितप्रति करें प्रणाम। पुण्यमयी उस धाम का, समवसरण है नाम।। समवसरण का स्वरूप छंद-विष्णुपद (कहाँ गये चक्री-बारहभावना) जहाँ पहुँचते ही दर्शक का पाप शमन होता। जहाँ पहुँचते ही मानी का मान गलन होता।। सबको शरण प्रदाता वह ही समवसरण माना। जिनवर की उस धर्मसभा…