श्री गौतम स्वामी प्रणीत प्रतिक्रमण पाठ में परिवर्तन-परिवर्धन उचित नहीं है
श्री गौतम स्वामी प्रणीत प्रतिक्रमण पाठ में परिवर्तन-परिवर्धन उचित नहीं है (१) करोम्यहं—आजकल कुछ साधु-साध्वियां ‘‘कुर्वेऽहं’’ क्रिया को पढ़ने लगे हैं किंतु मुझे यह संशोधन नहीं जँचा है अत: मैंने यहाँ ‘‘करोम्यहं’’ ऐसा आचार्य प्रणीत प्राचीनपाठ ही सर्वत्र रखा है। सिद्धांतचक्रवर्ती श्रीवीरनंदि आचार्य ने आचारसार ग्रंथ में ‘‘करोम्यहं’’ पाठ ही लिया है। यथा-‘‘क्रियायामस्यां व्युत्सर्गं भक्तेरस्या:…