धर्मध्यान :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == धर्मध्यान : == ध्यानोपरमेऽपि मुनि:, नित्यमनित्यादिभावनापरम:। भवति सुभावितचित्त:, धर्मध्यानेन य: पूर्वम्।। —समणसुत्त : ५०५ मोक्षार्थी मुनि सर्वप्रथम धर्मध्यान द्वारा अपने चित्त को सुभावित करे। बाद में धर्मध्यान से उपरत होने पर भी सदा अनित्य—अशरण आदि भावनाओं के चिंतवन में लीन रहे।