महाव्रत :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == महाव्रत : == अहिंसा सत्यं चास्तेनवंâ च, ततश्चाब्रह्मापरिग्रहं च। प्रतिपद्य पंचमहाव्रतानि, चरति धर्मं जिनदेशितं विद:।। —समणसुत्त : ३६४ अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, ये पांच महाव्रत ग्रहण कर श्रमण जिनदेशना के अनुसार धर्म का आचरण करे।