शौच :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शौच : == समसंतोसजलेणं जो धोवदि तिव्व—लोहमल—पुंजं। भोयण—गिद्धि—विहीणो, तस्स सउच्चं हवे विमलं।। —समणसुत्त : १०० समता और संतोष के जल से जो तीव्र लोभ के मल—पुंज को धाया करता है, भोजन की लालसा से जो विहीन हुआ करता है, वह पवित्र शौच धर्म से संपन्न होता है।