समभाव :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == समभाव : == जस्स ण विज्जदि रागो, दोसो मोहो व सव्वदव्वेसु। णासवदि सुहं असुहं, समसुहदुक्खस्स भिक्खुस्स।। —पंचास्तिकाय : १४२ जिस साधक का किसी भी द्रव्य के प्रति राग, द्वेष और मोह नहीं है, जो सुख—दु:ख में समभाव रखता है, उसे न पुण्य का आस्रव होता है और न…