भजन
भजन -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी शाम सबेरे दो घड़ी तू, ह्रीं का ध्यान लगाया कर। चौबीसों तीर्थंकर को तू, मन मंदिर में ध्याया कर।।टेक.।। स्वर्णाक्षर ह्र के अन्दर, वृषभाजित संभव अभिनन्दन। सुमती शीतल श्रेयो जिनवर, विमल अनंत धर्म वंदन।। शांति कुंथु अर मल्लि जिनेश्वर, नमिप्रभ वर्धमान स्वामी। हरित वर्ण ईकार सुपारस, पारस-चिन्तामणि नामी।। लालकला…