03.2 आचार्य, उपाध्याय एवं साधु परमेष्ठी
आचार्य, उपाध्याय एवं साधु परमेष्ठी २.१ सम्यक् दर्शन-ज्ञान-चारित्र की बहुलता के कारण साधुओं में जिन्हें प्रधान पद दिया जाता है और जो मुनि संघ के नायक होते हैं वे आचार्य कहलाते हैं। ये पांच प्रकार के आचार (दर्शन, ज्ञान चारित्र, तप और वीर्य) का स्वयं पालन करते हैं व अपने शिष्यों से भी करवाते हैं।…