13. साधु और गृहस्थों की चर्या
साधु और गृहस्थ गाड़ी के दो पहिये के सामान है,प्राचीनकाल से कृषि प्रधान इस भारतदेश में ऋषियों की परम्परा चली आ रही है। इन्हीं की त्याग तपस्या के बल पर देश का मस्तक गौरव से ऊँचा उठा हुआ है।
कितनी महानता बताई इन ऋषियों के बारे में कि जिस देश का आश्रय लेकर साधु तपस्या करते हैं उनकी तपस्या का छठा भाग पुण्य वहाँ के राजा को स्वयं ही मिल जाता है।