कुण्डलपुर यात्रा
वैदिक ग्रंथ मनुस्मृति के एक श्लोक से मैं इस ऐतिहासिक यात्रा का शुभारंभ करती हूँ- यत्र योगेश्वरो कृष्ण:, यत्र पार्थो धनुर्धर:। तत्र श्रीविजयोभूतिधर्ु्रवानीतिर्मतिर्मम।। अर्थात् धृतराष्ट्र के समीप बैठे एक संजय नामक दिव्यज्ञानी पुरुष ने कुरुक्षेत्र में चल रहे कौरव-पांडव के युद्ध को अपने दिव्यचक्षु से देखकर कहा कि-हे राजन््! जहाँ साक्षात् योगेश्वर नारायण श्री कृष्ण…