04. बारह भावना
(कवि भूधरदास द्वारा रचित) अनित्य राजा राणा छत्रपति, हाथिन के असवार।मरना सबको एक दिन, अपनी अपनी बार।।१।। अशरण दलबल देवी देवता, मात पिता परिवार।मरती विरियाँ जीव को, कोई न राखनहार।।२।। संसार दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णावश धनवान।कहूँ न सुख संसार में, सब जग देख्यौ छान।।३।। एकत्व आप अकेला अवतरे, मरे अकेला होय।यों कबहूँ या जीव…