14. आठ कर्म
आठ कर्म जो आत्मा को परतंत्र करता है, दु:ख देता है, संसार परिभ्रमण कराता है उसे कर्म कहते हैं। अनादिकाल से जीव का कर्म के साथ सम्बन्ध चला आ रहा है। इन दोनों का अस्तित्व स्वत: सिद्ध है। ‘मैं’ इस अनुभव से जीव जाना जाता है और जगत में कोई दरिद्री है, कोई धनवान है…