सोलहकारण पूजा वीडियो
सोलहकारण पूजा वीडियो पूज्य चंदनामती माताजी
दशलक्षण पूजा (गणिनी प्रमुख श्री आर्यिका ज्ञानमती माता जी स्थापना (शंभु छंद) तीर्थंकर मुख से प्रगटे ये, दशलक्षण धर्म सौख्यकारी। ये मुक्तिमहल की सीढ़ी हैं, सब जन मन को आनंदकारी।। वर क्षमा-मार्दव-आर्जव-सत्य-शौच-संयम-तप-त्याग तथा। आिंकचन ब्रह्मचर्य उत्तम इन पूजत मिटती सर्व व्यथा।।१।। दोहा उत्तम दशविध धर्म ये, धरें सूर्य सम तेज। आह्वानन…
दशलक्षणधर्म पूजा (कविवर द्यानतरायजी कृत) -अडिल्ल- उत्तम छिमा मारदव आरजव भाव हैं। सत्य शौच संयम तप त्याग उपाव हैं।। आकिंचन ब्रह्मचर्य धरम दश सार हैं। चहुँगति-दुखतैं काढ़ि मुकति करतार हैं।। ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दशलक्षणधर्म! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दशलक्षणधर्म! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादि-दशलक्षणधर्म!…
अनन्त चतुर्दशी व्रत पूजा अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद श्री अनंत जिनराज आपने, भव का अंत किया है। दर्शन ज्ञान सौख्य वीरजगुण, को आनन्त्य किया है।। अंतक का भी अंत करें हम, इसीलिए मुनि ध्याते। आह्वानन कर पूजा करके, प्रभु तुम गुण हम गाते।।१।। ॐ ह्रीं श्रीअनंतनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीअनंतनाथजिनेन्द्र!…
क्षमावाणी पूजा छप्पय छंद अंग क्षमा जिन धर्म तनों दृढ़ मूल बखानो। सम्यक रतन संभाल हृदय में निश्चय जानो।। तज मिथ्या विष मूल और चित निर्मल ठानो। जिनधर्मी सों प्रीति करो सब पातक भानो।। रत्नत्रय गह भविक जन, जिन आज्ञा सम चालिए। निश्चय कर आराधना, कर्म राशि को जालिए।। ॐ ह्रीं सम्यग्दर्शन,…
सोलहकारण पूजा षोडशकारण व्रत में अथ स्थापना गीता छंद दर्शनविशुद्धी आदि सोलह, भावना भवनाशिनी। जो भावते वे पावते, अति शीघ्र ही शिवकामिनी।। हम नित्य श्रद्धा भाव से, इनकी करें आराधना। पूजा करें वसुद्रव्य ले, करके विधीवत थापना।।१।। ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिषोडशकारणभावनासमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिषोडशकारणभावनासमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…
पंचमेरु पूजा अडिल्ल छंद सुरनर वंदित पंचमेरु नरलोक में। ऋषिगण जहँ विचरण करते निज शोध में।। दुषमकाल में वहाँ गमन की शक्ति ना। पूजूँ भक्ति समेत यहीं कर थापना।।१।। ॐ ह्रीं पंचमेरुसंबंधिअशीतिजिनालयस्थसर्वजिन-बिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं पंचमेरुसंबंधिअशीतिजिनालयस्थसर्वजिन-बिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं पंचमेरुसंबंधिअशीतिजिनालयस्थसर्वजिन-बिम्बसमूह! अत्र मम…