कौन करते हैं उत्तम ध्यान ज्ञानार्णव ग्रन्थ में आचार्य श्री शुभचन्द्र स्वामी ने ध्यान का वर्णन करते हुए कहा है— शतांशमपि तस्याद्य, न कश्चिद्वक्तुमीश्वरः। तदेतत्सुप्रसिद्ध्यर्थं, दिगमात्रमिह वण्र्यते।। अर्थात् द्वादशांग सूत्र में जो ध्यान का लक्षण विस्तार सहित कहा गया है, उसका शतांश—सौवां भाग भी आज कोई कहने में समर्थ नहीं है, फिर भी उसकी प्रसिद्धि…
अहिंसा एवं सदाचार से विश्व में शांति की स्थापना संभव है संसार में प्रत्येक प्राणी सुख चाहता है और दु:ख से डरता है। इसी सुख शांति को प्राप्त करने के लिए मानव भी रात-दिन प्रयास करता है, तरह-तरह के उपक्रम करता है पर विश्वधर्म को प्रतिपादित करने वाले संतों ने ऐसी सुख-शांति का यदि कोई…
क्या जाप माला रखना परिग्रह का प्रतीक हें ? -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी परम पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी ने ९९ करोड़ महा मुनियों की मोक्ष से पवित्र भूमि “मांगीतुंगी” पहाड़ की वंदना दौरान आगम के प्रमाण (evidence/proof) दिखते हुए दिगम्बर जैन मुनि माला रख सकते है यह कोई परिग्रह का प्रतिक नहीं…
क्या आप जानते हैं? झूठ बोलने से हो सकते है बीमार . घर ,आँफ़िस या दोस्तों के बीच हम बात -बात पर झूठ बोलने से परहेज नहीं करते .झूठ बोलने की यह आदत धीरे -धीरे बढ़ जाती है और हम इसके आदि हो जाते हैं .झूठ बोलना धार्मिक द्रस्टी से सेहत के लिए तो गलत…
सत्य अहिंसा के अवतार कुण्डलपुर के राजकुमार संसार को सत्य—अहिंसा रूप शाश्वत मूल्यों का उत्कृष्ट पथ प्रदर्शित करने वाले इस युग के तीर्थंकर भगवन्तों की परम्परा में अंतिम एवं २४वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने २६०१ वर्ष पूर्व बिहार प्रान्त की कुण्डलपुर नगरी (नालन्दा) में महाराजा सिद्धार्थ एवं महारानी त्रिशला के आंगन में चैत्र शुक्ला…