लघु पंचगुरुभक्ति
लघु पंचगुरुभक्ति प्रातिहार्य से युत अरिहंतों, को अठगुण युत सिद्धों को। वंदूँ अठ प्रवचनमाता से, संयुत श्री आचार्य को।। शिष्यों से युत पाठकगण को, अष्ट योग युत साधू को। वंदूँ पंचमहागुरुवर को, त्रिकरण शुचि से मुद मन हो।। अंचलिका दोहा भगवन् ! पंचमहागुरु, भक्ति कायोत्सर्ग। करके आलोचन विधि, करना चाहूँ सर्व।।१।। अष्टमहाशुभ प्रातिहार्य, संयुत अरिहंत...