सिद्धभक्ति हिन्दी पद्यानुवाद
सिद्धभक्ति हिन्दी पद्यानुवादकर्त्री - गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी सब सिद्ध कर्म प्रकृती विनाश, निज के स्वभाव को प्राप्त किये। अनुपमगुण से आकृष्ट तुष्ट, मैं वंदूँ सिद्धी हेतु लिये।। गुणगण आच्छादक दोष नशें, सिद्धी स्वात्मा की उपलब्धी। जैसे पत्थर सोना बनता, हों योग्य उपादान अरु युक्ती।।१।। नहिं मुक्ति अभावरूप निजगुण की, हानि तपों से उचित...