सच्चे गुरु का लक्षण
सच्चे गुरु का लक्षण जो विषयों की आशा से रहित, आरम्भ-परिग्रह से रहित, दिगम्बर वेषधारी, ज्ञान, ध्यान और तप में लीन रहते हैं, वे ही सच्चे गुरु हैं। सम्यग्दर्शन के आठ अंग-नि:शंकित, नि:कांक्षित, निर्विचिकित्सा, अमूढ़दृष्टि, उपगूहन, स्थितिकरण, वात्सल्य और प्रभावना। नि:शंकित-देव, गुरु और शास्त्रस्वरूप तत्त्व यही है, इसी प्रकार ही है, दूसरा नहीं है और…