मच्छर चालीसा!
==मच्छर चालीसा== जय मच्छर बलवान उजागर, जय अगणित रोगों के सागर। नगर दूत अतुलित बलधामा, तुमको जीत न पाए रामा। गुप्त रूप घर तुम आ जाते, भीम रूप धर तुम खा जाते। मधुर मधुर खुजलाहट लाते, सबकी देह लाल कर जाते। वैद्य हकीम के तुम रखवाले, हर घर में हो रहने वाले। हो मलेरिया…