11. त्रैलोक्यं गोष्पदायते (तीन लोक का वर्णन)
त्रैलोक्यं गोष्पदायते (तीन लोक का वर्णन)! मङ्गलाचरण (अध्याय १) ‘‘त्रैलोक्यं गोष्पदायते।’’ अमृतर्विषणी टीका— लोगो अकिट्टिमो खलु, अणाइणिहणो सहावणिव्वत्तो। जीवाजीवेिंह फुडो, सव्वागासवयवो णिच्चो।।४।। त्रिलोकसार गाथा—४।‘‘ लोक्यन्ते’’ अवलोक्यन्ते जीवादिषड्द्रव्याणि अस्मिन्निति लोक:’ जहाँ पर जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल ये छहों द्रव्य देखे जाते हैं वह लोक हैं। वह लोक अकृत्रिम, अनादिनिधन है एवं स्वभाव से…