01. मङ्गलाचरण
श्री गौतम गणधर वाणी भगवान महावीरस्वामी के प्रथम गणधर श्रीगौतमस्वामी विरचित ” (संकलन एवं अमृतर्विषणी टीका—गणिनी ज्ञानमती माताजी)” (अध्याय १) मंगलाचरण श्रीमते वर्धमानाय, नमो नमितविद्विषे। यज्ज्ञानान्तर्गतं भूत्वा, त्रैलोक्यं गोष्पदायते।।१।। —पद्यानुवाद—चौबोल छंद— श्रीमन् वर्धमान को प्रणमूँ, जिनने अरि को नमित किया। जिनके पूर्णज्ञान में त्रिभुवन, गौखुर सम दिखलाई दिया।। ऐसे अंतिम तीर्थंकर श्री—महावीर को नित्य नमूं।…