द्वादशांग श्रुतज्ञान का विषय ‘‘द्वादशांग श्रुतज्ञान क्या है ?’’ जिनेन्द्रदेव की दिव्यध्वनि को गणधरदेव धारण करते हैं। पुन: उसे द्वादशांगरूप से गूँथते हैं। अत: भगवान् की वाणी ही द्वादशांग श्रुतज्ञानरूप है। उस श्रुतज्ञान के दो भेद हैं— अंगबाह्य और अंगप्रविष्ट । इनमें से अंगप्रविष्ट के बारह भेद हैं और अंगबाह्य के चौदह। अंगप्रविष्ट के नाम…
जम्बूद्वीप एक लाख योजन विस्तृत गोलाकार (थाली सदृश) इस जम्बूद्वीप में हिमवान, महाहिमवान, निषध, नील, रुक्मी और शिखरी इन छह कुलाचलों में विभाजित सात क्षेत्र हैं— भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत और ऐरावत। भरत क्षेत्र का दक्षिण उत्तर विस्तार ५२६, ६/१९ योजन है। आगे पर्वत और क्षेत्र के विस्तार विदेह क्षेत्र तक दूने—दूने…
ज्ञानामृत (भाग – १) प्रश्नोत्तरी प्रश्न १ :- सिद्ध और अरिहंतों में क्या भेद है ? (१) आठ घातिया कर्मों को नष्ट करे तो अरहंत, चार कर्म नष्ट करने वाले सिद्ध होते हैं।(२) अरिहंत भगवान आठ कर्मों से सहित हैं और सिद्ध आठ कर्म रहित हैं। (३) आठ कर्मों को नष्ट करने वाले सिद्ध और…
दशलक्षण धर्म यह भादों मास सभी महीनों, में राजा है उत्तम जग में। यह धर्म हेतु है और अनेक, व्रत रत्नों का सागर सच में।। यह महापर्व है दशलक्षण, दशधर्म मय मंगलकारी। रत्नत्रय निधि को देता है, सोलहकारणमय सुखकारी।। उत्तम क्षमा सब कुछ अपराध सहन करके, भावों से पूर्ण क्षमा करिये। यह उत्तम क्षमा जगन्माता,…