05. बोधप्राभृत सार
बोधप्राभृत सार ग्यारह महत्वपूर्ण स्थान (१) आयतन (२) चैत्यगृह (३) जिनप्रतिमा (४) दर्शन (५) जिनबिंब (६) जिनमुद्रा (७) ज्ञान (८) देव (९) तीर्थ (१०) अरहन्त (११) प्रव्रज्या इन ग्यारह विषयों को बोधप्राभृत में वर्णन किया है। (१) आयतन — जिनमार्ग में जो संयम सहित मुनिरूप है उसे आयतन कहा है। अर्थात् मन, वचन, काय और…