32. श्रावक एवं मुनि दोनों के लिए शुभोपयोग उपादेय है
श्रावक एवं मुनि दोनों के लिए शुभोपयोग उपादेय है धर्मप्रेमी भव्यात्माओं यह संसार एक विशाल नाटक का मंच है, जहाँ जीव और अजीव ये दो शृँगार सहित पात्र के सदृश एकरूप होकर प्रतिक्षण मंचन करते रहते हैं। जैसे नाटक, सिनेमा में पात्रगण अनेकों प्रकार के नकली रूप धारण करके दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत होते हैं...