10. दान की महिमा
जो अपने और दूसरों के उपकार के लिए दिया जाता है उसे दान कहते हैं।
आचार्यों ने श्रावकों के देवपूजा , गुरुपास्ति , स्वाध्याय , संयम , तप और दान ये षट् आवश्यक कर्तव्य बताए हैं। उनमें भी आचार्य कुन्दकुन्द ने ‘दाणं पूजा मुक्खो’ दान और पूजा को मुख्य बताया है।