जयति जय ज्ञानमती जी, गणिनि माँ ज्ञानमती जी!
जयति जय ज्ञानमती जी तर्ज-अरे रे…… जयति जय ज्ञानमती जी, गणिनि माँ ज्ञानमती जी। वंदना करूँ मैं तेरी मात रे। शरदपूर्णिमा का तू है चांद मेरी मात, करती है ज्ञान की तू सदा बरसात। छोटेलाल मोहिनी ने दिया ऐसा चांद, जिसकी नहीं दुनिया में कोई मिशाल।। जयति जय…..।।टेक.।। तीर्थों में जैसे सम्मेदशिखर है,…