भू-भ्रमण का खण्डन!
भू-भ्रमण का खण्डन (श्लोकवार्तिक तीसरी अध्याय के प्रथम सूत्र की हिन्दी से) कोई आधुनिक विद्वान कहते हैं कि जैनियों की मान्यता के अनुसार यह पृथ्वी वलयाकार चपटी गोल नहीं है। किन्तु यह पृथ्वी गेंद या नारंगी के समान गोल आकार की है। यह भूमि स्थिर भी नहीं है। हमेशा ही ऊपर नीचे घमती रहती है…