वेदी-परकोटे में भवनों के चारों तरफ चैत्यवृक्ष हैं
वेदी-परकोटे में भवनों के चारों तरफ चैत्यवृक्ष हैं प्रस्तुतकर्त्री – गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी तेसिं चउसु दिसासुं जिणदिट्ठपमाणजोयणे गंता। मज्झम्मि दिव्ववेदी पुह पुह वेट्ठेदि एक्केक्का।। २८।। दो कोसा उच्छेहा वेदीणमकट्टिमाण सव्वाणं। पंचसयाणिं दंडा वासो वररयणछण्णाणं।।२९।। गोउरदारजुदाओ उवरिम्मि जिणिंदगेहसहिदाओ। भवणसुररक्खिदाओ वेदीओ ताओ सोहंति।।३०।। तब्बाहिरे असोयंसत्तच्छदचंंपचूदवण पुण्णा। णियणाणातरुजुत्ता चेट्ठंति चेत्ततरूसहिदा।।३१।। चेत्तदुमत्थलरुंदं दोण्णि सया जोयणाणि पण्णासा।…