सूर्य चन्द्रादिकों का तीव्र-मन्द गमन
सूर्य चन्द्रादिकों का तीव्र-मन्द गमन सबसे मन्द गमन चन्द्रमा का है। उससे शीघ्र गमन सूर्य का है। उससे तेज गमन ग्रहों का, उससे तीव्र गमन नक्षत्रों का एवं सबसे तीव्र गमन ताराओं का है।
सूर्य चन्द्रादिकों का तीव्र-मन्द गमन सबसे मन्द गमन चन्द्रमा का है। उससे शीघ्र गमन सूर्य का है। उससे तेज गमन ग्रहों का, उससे तीव्र गमन नक्षत्रों का एवं सबसे तीव्र गमन ताराओं का है।
चन्द्रग्रहण-सूर्यग्रहण का क्रम इस प्रकार ६ मास में पूर्णिमा के दिन चन्द्र विमान पूर्ण आच्छादित हो जाता है उसे चन्द्रग्रहण कहते हैं तथैव छह मास में सूर्य के विमान को अमावस्या के दिन केतु का विमान ढक देता है उसे सूर्य ग्रहण कहते हैं। विशेष—ग्रहण के समय दीक्षा, विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित माने हैं…
कृष्ण पक्ष-शुक्ल पक्ष का क्रम जब यहाँ मनुष्य लोक में चन्द्र बिम्ब पूर्ण दिखता है। उस दिवस का नाम पूर्णिमा है। राहु ग्रह चन्द्र विमान के नीचे गमन करता है और केतु ग्रह सूर्य विमान के नीचे गमन करता है। राहु और केतु के विमानों के ध्वजा दण्ड के ऊपर चार प्रमाणांगुल (२००० उत्सेधांगुल) प्रमाण…
द्वितीयादि गलियों में स्थित चन्द्रमा का गमन क्षेत्र प्रथम गली में स्थित चन्द्र की १ मुहूर्त में गति ५०७३ योजन है। चन्द्र जब दूसरी गली में पहुँचता है तब इसी प्रमाण में ३ योजन और मिला देने से द्वितीय गली में स्थित चन्द्र के १ मुहूर्त की गति का प्रमाण होता है। इसी प्रकार आगे-आगे…
एक मिनट में चन्द्रमा का गमन क्षेत्र इस मुहूर्त प्रमाण गमन क्षेत्र के मील में ४८ मिनट का भाग देने से १ मिनट की गति का प्रमाण आ जाता है। यथा—२०२९४२५६ ´ ४८ · ४२२७९७मील होता है। अर्थात् चन्द्रमा १ मिनट में इतने मील गमन करता है।
चन्द्र को एक गली के पूरा करने का काल अपनी गलियों में से किसी भी एक गली में संचार करते हुये चन्द्र को उस परिधि को पूरा करने में ६२ मुहूर्त प्रमाण काल लगता है। अर्थात् एक चन्द्र कुछ कम २५ घण्टे में १ गली का भ्रमण करता है। सूर्य को १ गली के भ्रमण…
चन्द्र को एक गली के पूरा करने का काल अपनी गलियों में से किसी भी एक गली में संचार करते हुये चन्द्र को उस परिधि को पूरा करने में ६२ मुहूर्त प्रमाण काल लगता है। अर्थात् एक चन्द्र कुछ कम २५ घण्टे में १ गली का भ्रमण करता है। सूर्य को १ गली के भ्रमण…
चन्द्रमा का विमान, गमन क्षेत्र एवं गलियाँ चन्द्र का विमान योजन (३६७२ मील) व्यास का है। सूर्य के समान चन्द्रमा का भी गमन क्षेत्र ५१० योजन है। इस गमन क्षेत्र में चन्द्र की १५ गलियाँ हैं। इनमें वह प्रतिदिन क्रमश: एक-एक गली में गमन करता है। चन्द्र बिम्ब के प्रमाण योजन की ही एक-एक गली…
सूर्य के १८४ गलियों के उदय स्थान सूर्य के उदय निषध और नील पर्वत पर ६३, हरि और रम्यक क्षेत्रों में २ तथा लवण समुद्र में ११९ हैं। ६३ ± २ ± ११९ · १८४ हैं। इस प्रकार १८४ उदय स्थान होते हैं।
दक्षिणायन एवं उत्तरायण का क्रम जब सूर्य श्रावण कृष्णा १ के दिन प्रथम गली में रहता है तब दक्षिणायन होता है एवं उसी वर्ष माघ कृष्णा ७ को उत्तरायन है। तथैव दूसरी वर्ष— श्रावण कृष्णा १३ को दक्षिणायन एवं माघ शुक्ला ४ को उत्तरायन होता है। तीसरे वर्ष—श्रावण शुक्ला १० को दक्षिणायन, माघ कृष्णा १…