महिमा भगवान की प्रतिमा मंदिर में रहती है गुणवान की महिमा आत्मा के अंदर में रहती है। विद्वान् की गरिमा विद्वत्सभा में रहती है विज्ञान की महिमा ज्ञानियों की सभा में रहती है।
पंच परमेष्ठी ‘‘अरिहंत’’ अरि को हनते जो अरिहन्त कहलाते हैं ईहा-इच्छाओं का अन्त हो गया जिनके अरिहन्त कहे जाते हैं। ‘‘सिद्ध’’ आत्मसिद्धि को प्राप्त सिद्ध होते हैं पर को परमात्मा बनाने में सिद्ध होते हैं उनको नमन से कार्य सिद्ध होते हैं। ‘‘आचार्य’’ आ समन्तात् चर्या करने वाले शिष्यों से आचरण कराने वाले आचार्य कहलाते...
सांत्वनाष्टक शान्त चित्त हों निर्विकल्प हो, आत्मन् निज में तृप्त रहो। व्यग्र न होओ क्षुब्ध न होओ, चिदानन्द रस सहज पिओ। स्वयं स्वयं में सर्व वस्तुएं सदा परिणमिता होती है। इष्ट अनिष्ट न कोई जग में, व्यर्थ कल्पना झूठी है।। धीर वीर हो मोह भाव तज आतम—अनुभव किया करो। व्यग्र न होओ क्षुब्ध न होओ,...
रत्नाकर-पञ्चविंशतिका शुभ—केलि के आनन्दके धनके मनोहर धाम हो, नरनाथसे सुरनाथसे पूजित चरण गतकाम हो। सर्वज्ञ हो, सर्वोच्च हो, सबसे सदा संसार में, प्रज्ञा कलाके सिन्धु हो, आदर्श हो आचार में।।१।। संसार—दुखके वैद्य हो त्रैलोक्यके आधार हो, जय श्रीश! रत्नाकरप्रभो! अनुपम कृपा—अवतार हो। गतराग ! है विज्ञप्ति मेरी मुग्धकी सुन लीजिए क्योंकि प्रभो ! तुम विज्ञ...
श्रेष्ठी श्री छोटेलाल जी-चैतन्य रत्नाकर यह भारत वसुधा ऋषि-मुनियों के, तप से पावन मानी है। इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा से, शक्ती पाते नर-नारी हैं।। इक श्रेष्ठी छोटेलाल नाम के, जिनका परिचय बहुत बड़ा। ज्यादा कहने की शक्ति नहीं, किञ्चित् प्रयत्न का भाव जगा।।१।। जैसे सुन्दर उपवन लखकर, माली को योग्य समझते हैं। घर सुन्दर-सजा देख करके,...
रत्नों की खान-आर्यिका श्री रत्नमती माताजी इस पुरुषप्रधान देश का मस्तक, नारी से ही ऊँचा है। नारी ने अपनी निश्छलता से, सबके मन को जीता है।। सीता-सोमा-मैनासुन्दरि अरु मनोवती जैसी सतियाँ। जिनकी आदर्शकथाओं को, पढ़ने में बीत जाएँ सदियाँ।।१।। यहाँ वर्तमान की इक गौरवशाली नारी की बात सुनो। जो ज्ञानमती जी की जननी, यह सर्वश्रेष्ठ...
चातुर्मास (वर्षायोग) का महत्व : नृत्य नाटिका तर्ज-मैंने तेरे ही भरोसे........... प्रश्न - सुनो सुनो रे सखी री मेरी बात, चौमासा किसे कहते हैं? बतला दो मुझे आज यह बात, चौमासा किसे कहते हैं? उत्तर - मैंने सुनी है सखी री ऐसी बात, चौमासा साधु करते हैं। वर्षाऋतु में होती है बरसात, हिंसा से साधु...
मैना से ज्ञानमती : काव्य कथा इक रात को इक माता पुत्री का आपस में संवाद चला। तुम राग विराग कथाएं सुनकर बोलो किसका स्वाद भला।। मां ‘मोहिनी’ थी बेटी ‘मैना’ दोनों ममता की मूरत थीं। ममकार नहीं था दोनों में केवल मकार की सूरत थीं।। ‘मैना’ संज्ञा सार्थक करने हेतू मैना का स्वर बदला।।तुम.।।१।।...
माता मोहिनी और पुत्री मैना का संवाद तर्ज-बार-बार तोहे क्या समझाऊँ....... माता मोहिनी - बार-बार समझाऊँ बेटी, मान ले मेरी बात। तेरे जैसी सुकुमारी की, दीक्षा का युग है न आज।। मैना - भोली भाली माता मेरी, सुन तो मेरी बात। हम और तुम मिलकर ही, युग को बदल सकते आज।। माता मोहिनी - तूने...