चन्दनामती-काव्य पच्चीसी
चन्दनामती-काव्य पच्चीसी दोहा वीतराग सर्वज्ञ को, नमूँ चित्त हरषाय। जिनवाणी के नमन से, बोधिज्ञान मिल जाय।।१।। श्रीगुरुओं की अर्चना, चारितनिष्ठ बनाए। तीन रत्न की भक्ति से, रत्न तीन मिल जाएं।।२।। ज्ञानमती जी मात की, शिष्या ‘‘छोटी मात’’। प्रज्ञाश्रमणी चंदना-मती जगत् विख्यात।।३।। उनकी काव्य पच्चीसिका, लिखने का पुरुषार्थ। करना चाहूँ अल्पमति, यदि...