36. मंदिरों पर श्वेत पताकायें थी
मंदिरों पर श्वेत पताकायें थी त्रिकूटशिखराधस्तान्महाप्राकार—गोपुराम्। सन्ध्यामिव विलिम्पन्तीं छाययरुणया नभः।।१७५।। कुन्दशुभ्रैः समुत्तुङ्गैर्वैजयन्त्युपशोभितैः। मण्डितां चैत्यसंघातैः सप्राकारैःसतोरणैः।।१७६।। प्रविष्टो नगरीं लज्रं प्रविश्य च जिनालयम्। वन्दित्वा स्वोचितागारमध्युवास समङ्गलम्।।१७७।। इस प्रकार समुद्र की शोभा देखते हुए मेघवाहन ने त्रिकूटाचल के शिखर के नीचे स्थित लंकापुरी में प्रवेश किया। वह लंका बहुत भारी प्राकार और गोपुरों से सुशोभित थी,अपनी लाल-कान्ति के…