कषाय मार्गणासार
कषाय मार्गणासार जीव के सुख-दु:ख आदि रूप अनेक प्रकार के धान्य को उत्पन्न करने वाले तथा जिसकी संसाररूप मर्यादा अत्यन्त दूर है, ऐसे कर्मरूपी क्षेत्र (खेत) का यह कर्षण करता है, इसलिए इसको कषाय कहते हैं। ‘‘सम्यक्त्वादि विशुद्धात्म परिणामान् कषति हिनस्ति इति कषाय:’’ सम्यक्त्व, देशचारित्र, सकलचारित्र, यथाख्यातचारित्ररूपी परिणामों को जो कषे-घाते, न होने दे उसको…