क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी की आरती-2
क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी की आरती रचयित्री-ब्र.कु. इन्दु जैन (संघस्थ) मोतीसागर महाराज. आज तेरी आरती उतारूँ आरती उतारूँ, तेरी आरती उतारूँ ।। पीठाधीश महाराज, आज तेरी आरती उतारूँ । मोतीसागर महाराज, आज तेरी आरती उतारूँ ।। टेक. ।। पिता अमोलक जी हरषाए, माँ रूपा धन्य भाग्य कहाए । नगरी सनावद महान, आज तेरी आरती...