कुन्दकुन्द देव
कुन्दकुन्द देव भव्यात्माओं! दिगम्बर जैन आम्नाय में श्री कुन्द्कुन्दाचार्य का नाम श्री गणधरदेव के पश्चात् लिया जाता है। अर्थात् गणधर देव के समान ही इनका आदर किया जाता है और इन्हें अत्यन्त प्रामाणिक माना जाता है। यथा- मंगलं भगवान वीरो, मंगलं गौतमो गणी।। मंगलं कुन्दकुंदाद्यो, जैनधमोऽस्तु मंगलम्।। यह मंगल श्लोक शास्त्र स्वाध्याय के प्रारंभ में…