05.5 कल्याणकारक ग्रंथ में वर्णित प्रासुक चिकित्सा विधि
कल्याणकारक ग्रंथ में वर्णित प्रासुक चिकित्सा विधि जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर वृषभदेव हैं। इनका उल्लेख वेदों में भी प्राप्त होता है तो भी जैन धर्म हिन्दु धर्म से अपनी मौलिक विशेषताओं के कारण पृथक्््â है और है अति प्राचीन। जैनधर्म की अपनी सबसे बड़ी विशेषता है समन्वयात्मक (अनेकान्तात्मक) मार्ग का निर्देश करना। प्रस्तुत ‘कल्याणकारक’ चिकित्साग्रंथ…