01.1 जैनधर्म में वर्णित अहिंसा की सूक्ष्म विवेचना
जैनधर्म में वर्णित अहिंसा की सूक्ष्म विवेचना अहिंसा, जैनधर्म का प्राण है। जैनधर्म की अहिंसा का मूल आधार समता है। समता से आत्मसाम्य की निर्मलदृष्टि प्राप्त होती है। विश्व में जितनी भी आत्माएँ हैं, उन सभी के प्रति समत्वदृष्टि रखना चाहिए क्योंकि जितनी भी आत्माएँ हैं, सभी जीव हैं; उन सभी में एक समान ज्ञान-दर्शन…