जीव का ऊध्र्वगमन स्वभाव है
जीव का ऊध्र्वगमन स्वभाव है जीव जिस स्थान में सम्पूर्ण कर्मों से छूटता है ठीक उसी स्थान के ऊपर एक समय में ऊध्र्वगमन करके लोक के अग्रभाग में जाकर स्थित हो जाता है। चूँकि यह ऊध्र्वगमन उसका स्वभाव है। शंका – जीव जिस स्थान में कर्मो से छूटा है उसी स्थान पर रह जाता है।…