महापुराण प्रवचन-८
महापुराण प्रवचन-८ श्रीमते सकलज्ञान, साम्राज्य पदमीयुषे। धर्मचक्रभृते भत्र्रे, नम: संसारभीमुषे।। महानुभावों! भगवान ऋषभदेव के दशवें भवपूर्व राजा महाबल ने स्वयंबुद्ध मंत्री के सम्बोधन से जिनमंदिर में जाकर सल्लेखना ग्रहण कर ली थी और धर्मध्यानपूर्वक उन्होंने उपसर्गे दुर्भिक्षे, जरसि रुजायां च नि:प्रतीकारे। धर्माय तनुविमोचनमाहु:सल्लेखनामार्या:।। अर्थात् उपसर्ग-संकट आ जावे, ऐसा बुढ़ापा आ जावे कि अब शरीर पूर्ण…