देवदर्शन की महिमा
इसमें बताया गया हैं कि जिनेन्द्र भगवान के दर्शन करने से अनतानंत उपवासों का फल मिलता हैं |
इसमें बताया गया हैं कि जिनेन्द्र भगवान के दर्शन करने से अनतानंत उपवासों का फल मिलता हैं |
मंदिर में छत्र, चंवर, ध्वजा चढ़ाने का पुण्य
छत्र–प्रदान करने से मनुष्य, शत्रुरहित होकर पृथिवी को एक छत्र भोगता है। उसके ऊपर चमर ढोरे जाते हैं।
जिनभगवान के अभिषेक करने के फल से मनुष्य सुदर्शन मेरू के ऊपर क्षीरसागर के जल से सुरेन्द्र प्रमुख देवो के द्वारा भक्ति के साथ अभिषेक किया जाता है।
ब्रह्म बेला का महत्त्व विश्व की प्राय: सभी धर्म संस्कृतियाँ प्रात:काल की ब्रह्मबेला को महत्त्व देती है। परन्तु हमें यह नहीं मालूम कि ब्र्रह्मबेला कहते किसे हैं, इसका क्या महत्त्व है ? सूर्योदय के चौबीस मिनट पहले से सूर्योदय के चौबीस मिनट बाद तक का समय ब्रह्मवेला या ब्रह्ममुहूर्त कहलाता है। इसे ही आत्म—जागरण का…
मन्दिर जी प्रवेश विधि मन्दिर जी में प्रवेश करते समय शुद्ध छने जल से पैर धोने चाहिये। यदि आप जूते, मोजे, चप्पल आदि पहन कर आये हों तो उन्हें यथास्थान ही उतार देना चाहिये। पुन: मन्दिर जी में घण्टा रहता है, उसे क्यों बजाते हैं ? घंटा बजाते समय हमारे क्या भाव होने चाहिये ?…
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: डॉ. उषा खोसला हिन्दू समाज में नारी का स्थान बहुत ऊँचा है। नारी भगवती दुर्गा की प्रतिमूर्ति समझ जाती है। जिस जाति में नारी का जितना अधिक सम्मान होता है वह जाति उतनी ही अधिक सभ्य समझी जाती है। नारी जाति के सम्बन्ध में स्मृतिकारों के विचार भी बहुत…