12. कु. प्रभावती को ब्रह्मचर्य
कु. प्रभावती को ब्रह्मचर्य चारित्रचक्रवर्ती आचार्य देव बारामती में विराजमान थे। वहाँ से कुंथलगिरि विहार करने वाले थे। यह निर्णय हो चुका कि- ‘‘आचार्य महाराज अब कुंलगिरि में यमसल्लेखना लेने वाले हैं, अतः यह उनका अंतिम विहार है।’’ इस प्रसंग पर मैं भी क्षुल्लिका विशालमती माताजी के साथ यहाँ आ गई थी। क्षुल्लिका अजितमती अम्मा...