नवकेवललब्धि
नवकेवललब्धि ज्ञानावरण के अभाव से क्षायिकज्ञान-अनन्तज्ञान प्रगट होता है, जिससे एक समय में सम्पूर्ण लोकालोक, त्रिकालवर्ती समस्त पर्यायों सहित ज्ञान में प्रतिबिम्बित होने लगता है। दर्शनावरण के नाश से क्षायिक-अनन्त दर्शन प्रगट हो जाता है, जिससे वे सर्वदर्शी कहलाते हैं। दानान्तराय के सर्वथा अभाव से अनन्त प्राणियों का उपकार करने वाला क्षायिक अभयदान होता है।…