05.2 श्रुतज्ञान एवं श्रुतावतरण इतिहास
श्रुतज्ञान एवं श्रुतावतरण इतिहास २.१ मति, श्रुत, अवधि, मन:पर्यय और केवलज्ञान के भेद से ज्ञान पाँच प्रकार का कहा गया है। ‘‘मतिश्रुतावधिमन: पर्ययकेवलानिज्ञानम्’’ इति तत्त्वार्थसूत्रं। इन पाँच प्रकार के ज्ञानों में मतिज्ञान, अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान, और केवलज्ञान,—ये चार ज्ञान स्वार्थ हैं। अर्थात् इन चार ज्ञानों के द्वारा पदार्थ जाने जाते हैं, अनुभव में आते हैं, परन्तु...