दु:षमकाल में भावलिंगी मुनि होते हैं
दु:षमकाल में भावलिंगी मुनि होते हैं दिगंबर जैन संप्रदाय में पांच परमेष्ठी के अंतर्गत आचार्य, उपाध्याय और साधु इन परमेष्ठियों को दिगंबर मुनिमुद्रा का धारक ही माना है। इन दिगंबर मुनियों के दो भेद होते हैं ऐसा आगम में कथन है। यथा- ‘‘जिनेन्द्रदेव ने मुनियों के जिनकल्प और स्थविरकल्प ऐसे दो भेद कहे हैं।’’ जिनकल्पी…